भोपाल: केंद्रीय बजट के बाद राज्य सरकार में भी खजाने का हिसाब-किताब बढ़ गया है। कमाऊ विभागों पर फोकस ज्यादा है। खर्च कम करने के लिए भी हिसाब-किताब किया जा रहा है। अनावश्यक खर्चों में भी कटौती की जा रही है। दूसरी ओर यह भी तय किया गया है कि जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए खजाना खुला रहेगा, वहीं सरकार ने उन योजनाओं को बजट नहीं देने का भी फैसला किया है, जो अपनी उपयोगिता खो चुकी हैं। इससे जो बजट बचेगा, उसका इस्तेमाल दूसरे कामों में किया जाएगा। सरकार 10 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में बजट पेश करेगी। यह चार लाख करोड़ तक हो सकता है। विभागों से प्रस्ताव मांगे गए हैं।

कर्ज का बोझ कम करने को लेकर जोर 

चालू वित्तीय वर्ष में बजट 3.65 लाख करोड़ का है। राज्य पर इससे ज्यादा का कर्ज है। कर्ज का बोझ कम करने को लेकर सरकार चिंतित है। इसलिए आय बढ़ाने के साधनों पर मंथन चल रहा है। सीएम पहले ही कमाऊ विभागों से चर्चा कर चुके हैं। आम आदमी का भी ख्याल रखा जा रहा है। युवाओं, महिलाओं, गरीबों, किसानों के लिए अलग-अलग प्रावधान किए जा रहे हैं। सरकार इन वर्गों के लिए अलग-अलग मिशन भी चला रही है। इस वर्ग के लिए चलाई जा रही योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया जा रहा है। केंद्रीय योजनाओं का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त राज्यांश भी रखा जाएगा। वहीं वित्त विभाग ने विभागों को समान प्रकृति की योजनाओं को मर्ज करने पर विचार करने के निर्देश दिए हैं। जिन योजनाओं के लक्ष्य पूरे हो चुके हैं, उन्हें बंद करने को कहा गया है। इन योजनाओं के लिए वित्त विभाग बजट नहीं देगा। अंतिम निर्णय सीएम स्तर पर लिया जाएगा।