इंदौर: जिन तालाबों की वजह से शहर को वेटलैंड सिटी की सूची में शामिल किया गया था, उनमें सोलर पैनल लगाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की ओर से फिजिबिलिटी सर्वे भी कराया जा चुका है। शहर के पर्यावरण प्रेमी कॉरपोरेशन की इस योजना के पक्ष में नहीं हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि अगर तालाबों में सोलर पैनल लगाए गए तो यह प्राकृतिक स्थल के साथ छेड़छाड़ होगी और मानवीय आवाजाही के कारण पक्षी असुरक्षित महसूस करेंगे और यहां से पलायन कर जाएंगे।

यशवंत सागर का नाम सबसे पहले रामसर साइट्स की सूची में शामिल हुआ

यहां सारस अपना जीवन चक्र जारी रखते हैं। ऐसे में उन पर इसका ज्यादा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। शहर के पुराने और विशाल तालाब यशवंत सागर का नाम सबसे पहले रामसर साइट्स की सूची में शामिल किया गया था। बाद में सिरपुर तालाब, यशवंत सागर समेत शहर के तमाम तालाबों की वजह से शहर को वेटलैंड सिटी का दर्जा मिला। लेकिन अब स्मार्ट सिटी कंपनी इसी यशवंत सागर पर 20 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है।

प्लांट लगाने पर 100 करोड़ रुपए खर्च हो सकते हैं: स्मार्ट सिटी कंपनी ने इस संबंध में सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के माध्यम से फिजिबिलिटी सर्वे भी कराया है। अनुमान है कि तालाब में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाने पर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 

इन जगहों को प्राकृतिक रूप से विकसित होने दें 

पद्मश्री से अलंकृत पर्यावरणविद् भालू मोंढे के अनुसार जिन तालाबों के नाम रामसर साइट्स की सूची में शामिल हैं, उन्हें प्राकृतिक रूप से विकसित होने देना चाहिए। अगर यहां सोलर पैनल लगाने की बात की जाती है तो यह गलत फैसला होगा। इससे यहां पाए जाने वाले सारस और अन्य प्रवासी व स्थानीय पक्षियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। सोलर पैनल के रखरखाव के लिए कर्मचारियों की आवाजाही बढ़ेगी, जिससे पक्षी असुरक्षित महसूस करेंगे और पलायन करेंगे। ऐसे में तालाबों पर सोलर प्लांट लगाना गलत फैसला है। 

पांच हजार पक्षियों का घर

पक्षी विशेषज्ञ अजय गडीकर के अनुसार यशवंत सागर में वर्तमान में करीब 150 सारस पाए जाते हैं। यहां प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की 70 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां पाए जाने वाले पक्षियों की संख्या करीब पांच हजार है। यह स्थान सारसों का मुख्य निवास स्थान है। इसके अलावा अन्य पक्षी भी यहीं अपना जीवन चक्र बिताते हैं। ऐसे में यहां निर्माण कार्य आदि से पक्षियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जरूरत इन स्थानों को संरक्षित करने की है।